kr0.00

No products in the cart.

एक कविता सामाजिक परिस्थितियों पर

अब तो शहर  कोई, ऐसा भी बसाया जाए
जिसमें शैतान को, इनसान बनाया जाए

दरिंदों ने मसल डाला खूबसूरत फूल को
अब कौन से बाग़ में फूलों को उगाया जाये

चोरी,डकैती,बलात्कार आज खुले बाज़ार में
कोई बतलाये की , कहाँ जा के रहा जाये

अस्मतें लूटी गई, राह में में किसी फूल की
दरिंदों के डर से किस ओर चला जाये

कुछ चीखें अस्पतालो में दम तोड़ती दिखें
गुनहगारों को किस चौराहे लटकाया जाये

सारी जिंदगी सोते रहे मुर्दा ऐ कफ़न में
मेरे मरने पे उन्हें क्यूँ जगाया जाये

देश में हर रोज़ मैली हो जाती है गंगा
आओ चलो इसे प्यार का जहाँ बनाया जाये

मुर्दा सरकारों को जगाने से क्या हो जायेगा
दामिनी के दरिंदों को फांसी पे चढ़ाया जाये

अब ये सरकार न सुनती किसी दामिनी का दर्द
चलो इस इस सरकार को बदल दिया जाये

मोहब्बत हो तेरे मेरे दरमियाँ कुछ ऐसी
मेरी आँख का सपना, तेरी आँखों से देखा जाये

- सागर सुमन, लखनऊ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Publish Your ‘e-book’ Like a Professional Author

E-Book Creation and Formatting Service ...

Free Prew – Earning

Turn Your Words into Passive Income At Pustakvani, we believe...

Free Prew – Writing

Express Freely, Publish Widely, Impact Deeply At Pustakvani, we don’t...

Free PREW – Publishing

Whether you're a budding author, an avid reader, a...