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Anhad-Naad

Home E-book Anhad-Naad
Author :
Swadha Ravindra 'Utkarshita'
Type :
E-book
Language :
Hindi
Genre :
Poetry

About the Book

साहित्य देश काल परिस्थितियों का दस्तावेज होता है। हिंदी कविता के आदिकाल से आधुनिक काल तक के इतिहास पर यदि नजर डालें तो कविता लेखन में सक्रिय महिलाओं का आंकड़ा तत्कालीन समाज की मुख्य धारा में महिलाओं कि हिस्सेदारी और उनके तत्कालीन मान सम्मान की कहानी कहता और सुनता नजर आता है। आदिकालीन कविता में स्त्री का चित्रण युद्ध की प्रेरक तथा जीतने और भोग कि वस्तु के रूप में है तो वहीं भक्ति काल में वह प्रेमिका या दैवीय स्वरुप में नजर आती है। रीति काल में तो स्त्री को भोग विलास और सौन्दर्य कि प्रतिमा के रूप में चित्रित किया गया। बिहारी की नायिका से लेकर घननाद की सुजान तक में स्त्री का अपना अस्तित्व कहीं नजर नहीं आता है। स्त्री का ऐसा चित्रण करने वाले सभी रचनाकार पुरुष थे।

साहित्य देश काल परिस्थितियों का दस्तावेज होता है। हिंदी कविता के आदिकाल से आधुनिक काल तक के इतिहास पर यदि नजर डालें तो कविता लेखन में सक्रिय महिलाओं का आंकड़ा तत्कालीन समाज की मुख्य धारा में महिलाओं कि हिस्सेदारी और उनके तत्कालीन मान सम्मान की कहानी कहता और सुनता नजर आता है। आदिकालीन कविता में स्त्री का चित्रण युद्ध की प्रेरक तथा जीतने और भोग कि वस्तु के रूप में है तो वहीं भक्ति काल में वह प्रेमिका या दैवीय स्वरुप में नजर आती है। रीति काल में तो स्त्री को भोग विलास और सौन्दर्य कि प्रतिमा के रूप में चित्रित किया गया। बिहारी की नायिका से लेकर घननाद की सुजान तक में स्त्री का अपना अस्तित्व कहीं नजर नहीं आता है। स्त्री का ऐसा चित्रण करने वाले सभी रचनाकार पुरुष थे।

 

Price range: $99.00 through $170.00

About the Book

साहित्य देश काल परिस्थितियों का दस्तावेज होता है। हिंदी कविता के आदिकाल से आधुनिक काल तक के इतिहास पर यदि नजर डालें तो कविता लेखन में सक्रिय महिलाओं का आंकड़ा तत्कालीन समाज की मुख्य धारा में महिलाओं कि हिस्सेदारी और उनके तत्कालीन मान सम्मान की कहानी कहता और सुनता नजर आता है। आदिकालीन कविता में स्त्री का चित्रण युद्ध की प्रेरक तथा जीतने और भोग कि वस्तु के रूप में है तो वहीं भक्ति काल में वह प्रेमिका या दैवीय स्वरुप में नजर आती है। रीति काल में तो स्त्री को भोग विलास और सौन्दर्य कि प्रतिमा के रूप में चित्रित किया गया। बिहारी की नायिका से लेकर घननाद की सुजान तक में स्त्री का अपना अस्तित्व कहीं नजर नहीं आता है। स्त्री का ऐसा चित्रण करने वाले सभी रचनाकार पुरुष थे।

साहित्य देश काल परिस्थितियों का दस्तावेज होता है। हिंदी कविता के आदिकाल से आधुनिक काल तक के इतिहास पर यदि नजर डालें तो कविता लेखन में सक्रिय महिलाओं का आंकड़ा तत्कालीन समाज की मुख्य धारा में महिलाओं कि हिस्सेदारी और उनके तत्कालीन मान सम्मान की कहानी कहता और सुनता नजर आता है। आदिकालीन कविता में स्त्री का चित्रण युद्ध की प्रेरक तथा जीतने और भोग कि वस्तु के रूप में है तो वहीं भक्ति काल में वह प्रेमिका या दैवीय स्वरुप में नजर आती है। रीति काल में तो स्त्री को भोग विलास और सौन्दर्य कि प्रतिमा के रूप में चित्रित किया गया। बिहारी की नायिका से लेकर घननाद की सुजान तक में स्त्री का अपना अस्तित्व कहीं नजर नहीं आता है। स्त्री का ऐसा चित्रण करने वाले सभी रचनाकार पुरुष थे।

 

Genre

Poetry

Publisher
Language
Page Count
Published (Year)
Size (in Centimetres)

14×21

Book Type
Format

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