अब तो शहर कोई, ऐसा भी बसाया जाए
जिसमें शैतान को, इनसान बनाया जाए
दरिंदों ने मसल डाला खूबसूरत फूल को
अब कौन से बाग़ में फूलों को उगाया जाये
चोरी,डकैती,बलात्कार आज खुले बाज़ार में
कोई बतलाये की , कहाँ जा के रहा जाये
अस्मतें लूटी गई, राह में में किसी फूल की
दरिंदों के डर से किस ओर चला जाये
कुछ चीखें अस्पतालो में दम तोड़ती दिखें
गुनहगारों को किस चौराहे लटकाया जाये
सारी जिंदगी सोते रहे मुर्दा ऐ कफ़न में
मेरे मरने पे उन्हें क्यूँ जगाया जाये
देश में हर रोज़ मैली हो जाती है गंगा
आओ चलो इसे प्यार का जहाँ बनाया जाये
मुर्दा सरकारों को जगाने से क्या हो जायेगा
दामिनी के दरिंदों को फांसी पे चढ़ाया जाये
अब ये सरकार न सुनती किसी दामिनी का दर्द
चलो इस इस सरकार को बदल दिया जाये
मोहब्बत हो तेरे मेरे दरमियाँ कुछ ऐसी
मेरी आँख का सपना, तेरी आँखों से देखा जाये
- सागर सुमन, लखनऊ